Change in lifestyle

ये भी एक दौर था......सुविधाये कम थी पर संतुष्टि और खुशी खूब थी....जिस आंगन, जिस गांव में पैदा होते थे.....वंही से अर्थी उठ जाती थी.....अब सबको दिल्ली, एनसीआर जाने की लगी है....बस कैसे भी कर के 100 ग़ज़ का जुगाड़ हो जाये....पर करे भी क्या ?.....गांव मर रहा है, खेत मर रहे है, एक पूरी संस्कृति और जीवन पद्धति मर रही है.....

Comments

Popular posts from this blog